परिचय (Kyu Dare)
Kyu Dare Zindagi Me Kya Hoga एक प्रसिद्ध हिंदी गीत है जो फिल्म “अग्निपथ” (1990) से है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में हैं। यह गीत बेहद प्रेरणादायक है और जीवन में साहस और विश्वास को बढ़ावा देता है।
यहाँ इस गीत की जानकारी दी जा रही है:
- गीत का शीर्षक: Kyu Dare Zindagi Me Kya Hoga
- फिल्म: अग्निपथ
- वर्ष: 1990
- संगीतकार: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
- गीतकार: आनंद बख्शी
- गायक: अमिताभ बच्चन (इस गीत को अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज़ में गाया है)
- मुख्य कलाकार: अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती, माधवी, नीलम कोठारी, डैनी डेंजोंग्पा
यह गीत जीवन की अनिश्चितताओं और चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है और बताता है कि किसी भी हालात से घबराने की आवश्यकता नहीं है।
क्यों डरे ज़िन्दगी में क्या होगा लिरिक्स
क्यों डरे ज़िंदगी में क्या होगा
कुछ ना होगा तो तज़ुर्बा होगा
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में
वो तिफ़्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले
क्यों डरे ज़िंदगी में क्या होगा
कुछ ना होगा तो तज़ुर्बा होगा
क्यूं ग़मों का ग़म करें, ग़म ग़र तो फिर ग़म नहीं
ग़म जो दिल से हो खता, फिर वो ग़म नहीं रहा
मौत आख़िर एक दिन, परदा है हयात का
क्यों डरे ज़िंदगी में क्या होगा
कुछ ना होगा तो तज़ुर्बा होगा
ग़म और ख़ुशी का फासला, मौत है ना ज़िंदगी
मौत है अगर तो क्या, मौत से भी हम मिले
राह में शहीद हो, फूल बिछ गये अगर
क्यों डरे ज़िंदगी में क्या होगा
कुछ ना होगा तो तज़ुर्बा होगा
Kyu Dare Zindagi Me Kya Hoga Lyrics
Kyon dare zindagi mein kya hoga
Kuch na hoga to tajurba hoga
Girte hain shahasawar hi maidan-e-jang mein
Wo tifl kya gire jo ghutnon ke bal chale
Kyon dare zindagi mein kya hoga
Kuch na hoga to tajurba hoga
Kyun ghamon ka gham karein, gham gar to phir gham nahin
Gham jo dil se ho khata, phir wo gham nahin raha
Maut aakhir ek din, parda hai hayaat ka
Kyon dare zindagi mein kya hoga
Kuch na hoga to tajurba hoga
Gham aur khushi ka faasla, maut hai na zindagi
Maut hai agar to kya, maut se bhi hum mile
Raah mein shaheed ho, phool bich gaye agar
Kyon dare zindagi mein kya hoga
Kuch na hoga to tajurba hoga
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ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿੱਚ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ ਇਸ ਤੋਂ ਕਿਉਂ ਡਰੋ Lyrics
ਕਿਉਂ ਡਰੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿੱਚ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ
ਕੁਝ ਨਾ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਤਜਰਬਾ ਹੋਵੇਗਾ
ਗਿਰਦੇ ਹਨ ਸ਼ਹਸਵਾਰ ਹੀ ਮੈਦਾਨ-ਏ-ਜੰਗ ਵਿੱਚ
ਓਹ ਬੱਚਾ ਕੀ ਗਿਰੇ ਜੋ ਘੁਟਨਿਆਂ ਦੇ ਬਲ ਚਲੇ
ਕਿਉਂ ਡਰੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿੱਚ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ
ਕੁਝ ਨਾ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਤਜਰਬਾ ਹੋਵੇਗਾ
ਕਿਉਂ ਗ਼ਮਾਂ ਦਾ ਗ਼ਮ ਕਰੀਏ, ਗ਼ਮ ਜੇ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਫਿਰ ਗ਼ਮ ਨਹੀਂ
ਗ਼ਮ ਜੋ ਦਿਲ ਨਾਲ ਹੋਵੇ ਖ਼ਤਾ, ਫਿਰ ਉਹ ਗ਼ਮ ਨਹੀਂ ਰਿਹਾ
ਮੌਤ ਆਖ਼ਿਰ ਇੱਕ ਦਿਨ, ਪਰਦਾ ਹੈ ਹਯਾਤ ਦਾ
ਕਿਉਂ ਡਰੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿੱਚ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ
ਕੁਝ ਨਾ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਤਜਰਬਾ ਹੋਵੇਗਾ
ਗ਼ਮ ਅਤੇ ਖੁਸ਼ੀ ਦਾ ਫਾਸਲਾ, ਮੌਤ ਹੈ ਨਾ ਜ਼ਿੰਦਗੀ
ਮੌਤ ਹੈ ਜੇ ਤਾਂ ਕੀ, ਮੌਤ ਨਾਲ ਵੀ ਅਸੀਂ ਮਿਲੇ
ਰਾਹ ਵਿੱਚ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋ, ਫੂਲ ਬਿਛ ਗਏ ਜੇ
ਕਿਉਂ ਡਰੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿੱਚ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ
ਕੁਝ ਨਾ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਤਜਰਬਾ ਹੋਵੇ