हरि हराय नमः || Hari Haraye Namo Krishna Lyrics

Hari Haraye Namo Krishna
Hari Haraye Namo Krishna

परिचय:

“हरी हरे नमो कृष्ण” एक पारंपरिक भजन है जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करता है। इस भजन में भगवान कृष्ण के प्रति भक्तों की भक्ति, श्रद्धा और समर्पण को दर्शाया गया है। हरे कृष्ण मंत्र के माध्यम से यह भजन भगवान कृष्ण की लीला, उनकी दिव्य महिमा और उनके अनंत रूपों का वर्णन करता है।


इस भजन का गायन भक्तों को आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति कराता है और उन्हें भगवान के निकट ले जाता है। “हरी हरे नमो कृष्ण” का प्रत्येक शब्द भक्तों के दिल में भगवान के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति की भावना भर देता है। यह भजन विशेष रूप से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधाष्टमी, और अन्य धार्मिक अवसरों पर गाया जाता है, जिससे भक्तों को भगवान के दिव्य स्वरूप और उनकी लीलाओं का स्मरण होता है।

हरि हराय नमः (Lyrics)

हरि हराय नमः कृष्णाय यादवाय नमः।
यादवाय माधवाय केशवाय नम:॥

गोपाल गोविंदा राम श्रीमधुसूदन.
गिरिधारी गोपीनाथ मदनमोहन

श्री चैतन्य नित्यानंद श्री अद्वैतचंद्र।
गदाधर श्रीवासदि गौरवक्तबृंदा॥

जय रूप सनातन भट्ट रघुनाथ।
श्रीजीवगोपालभट्ट दास रघुनाथ।

मैं इन छह गोसाणियों को चरण बंदना करता हूं।
जो विनाश की कामना को पूर्ण करता है।

ये छह गोसानी जिनकी मुई उनकी दासी है।
वह मेरा सौतेला पिता है।

भक्त उनके चरणों में रहते हैं।
यह मेरी इच्छा है कि मेरा जन्म हो।

ये छह गोसानि ब्रज कैला बास में रहती हैं।
राधाकृष्ण नित्यलीला करिला प्रकाश।

हरि भज वृन्दावन में रमण करो।
श्रीगुरुवैष्णव-पाद, मन प्रसन्न होता है।

श्रीगुरुवैष्णव-पादपद्म करि राख।
(हरि) नाम संकीर्तन कहे नरोत्तम दास।

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हरि हराय नमः
हरि हराय नमः

हरि हराय नमः (Bengali)

হরি হরয়ে নমঃ কৃষ্ণ যাদবায় নমঃ ।
যাদবায় মাধবায় কেশবায় নমঃ ॥

গোপাল গোবিন্দ রাম শ্রীমধুসূদন ।
গিরিধারী গোপীনাথ মদনমোহন ॥

শ্রীচৈতন্য নিত্যানন্দ শ্রীঅদ্বৈতচন্দ্র ।
গদাধর শ্রীবাসাদি গৌরভক্তবৃন্দ ॥

জয় রূপ সনাতন ভট্ট রঘুনাথ ।
শ্রীজীবগোপালভট্ট দাস রঘুনাথ ॥

এই ছয় গোসাঞির করি চরণ বন্দন ।
যাহা হৈতে বিঘ্ননাশ অভীষ্ট পূরণ ॥

এই ছয় গোসাঞি যাঁর মুঁই তাঁর দাস ।
তাঁ সবার পদরেণু মোর পঞ্চগ্রাস ॥

তাঁদের চরণ সেবি ভক্ত-সনে বাস ।
জনমে জনমে মোর এই অভিলাষ ॥

এই ছয় গোসাঞি যবে ব্রজে কৈলা বাস ।
রাধাকৃষ্ণ নিত্যলীলা করিলা প্রকাশ ॥

আনন্দে বল হরি ভজ বৃন্দাবন ।
শ্রীগুরুবৈষ্ণব-পদে মজাইয়া মন ॥

শ্রীগুরুবৈষ্ণব-পাদপদ্ম করি আশ ।
(হরি) নাম সংকীর্ত্তন কহে নরোত্তম দাস ॥

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