Hum Nahi Change Bura Nahi Koi Lyrics
ਸੂਹੀ ਮਹਲਾ ੧ ਘਰੁ ੨
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ਅੰਤਰਿ ਵਸੈ ਨ ਬਾਹਰਿ ਜਾਇ ॥
ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਛੋਡਿ ਕਾਹੇ ਬਿਖੁ ਖਾਇ ॥੧॥
ਐਸਾ ਗਿਆਨੁ ਜਪਹੁ ਮਨ ਮੇਰੇ ॥
ਹੋਵਹੁ ਚਾਕਰ ਸਾਚੇ ਕੇਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
ਗਿਆਨੁ ਧਿਆਨੁ ਸਭੁ ਕੋਈ ਰਵੈ ॥
ਬਾਂਧਨਿ ਬਾਂਧਿਆ ਸਭੁ ਜਗੁ ਭਵੈ ॥੨॥
ਸੇਵਾ ਕਰੇ ਸੁ ਚਾਕਰੁ ਹੋਇ ॥
ਜਲਿ ਥਲਿ ਮਹੀਅਲਿ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸੋਇ ॥੩॥
ਹਮ ਨਹੀ ਚੰਗੇ ਬੁਰਾ ਨਹੀ ਕੋਇ ॥
ਪ੍ਰਣਵਤਿ ਨਾਨਕੁ ਤਾਰੇ ਸੋਇ ॥੪॥੧॥੨॥
“ਸੂਹੀ ਮਹਲਾ ੧ ਘਰੁ ੨” गुरु नानक देव जी द्वारा रचित एक शबद है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में संकलित है। यह शबद सिख धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ में से एक है और इसे राग सूही में गाया जाता है। यहाँ इस शबद के कुछ प्रमुख अंश और उनका अर्थ प्रस्तुत किया गया है:
ਅੰਤਰਿ ਵਸੈ ਨ ਬਾਹਰਿ ਜਾਇ ॥
- जो भगवान हमारे अंदर निवास करते हैं, उन्हें बाहर ढूँढ़ने की आवश्यकता नहीं है।
ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਛੋਡਿ ਕਾਹੇ ਬਿਖੁ ਖਾਇ ॥੧॥
- अमृत को छोड़कर क्यों विष का सेवन करते हो?
ਐਸਾ ਗਿਆਨੁ ਜਪਹੁ ਮਨ ਮੇਰੇ ॥
- हे मेरे मन, ऐसा ज्ञान प्राप्त करो।
ਹੋਵਹੁ ਚਾਕਰ ਸਾਚੇ ਕੇਰੇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
- सच्चे भगवान के सेवक बनो।
ਗਿਆਨੁ ਧਿਆਨੁ ਸਭੁ ਕੋਈ ਰਵੈ ॥
- सभी लोग ज्ञान और ध्यान की बात करते हैं।
ਬਾਂਧਨਿ ਬਾਂਧਿਆ ਸਭੁ ਜਗੁ ਭਵੈ ॥੨॥
- यह संसार बंधनों में बंधा हुआ है और भटक रहा है।
ਸੇਵਾ ਕਰੇ ਸੁ ਚਾਕਰੁ ਹੋਇ ॥
- जो सेवा करता है वही सच्चा सेवक है।
ਜਲਿ ਥਲਿ ਮਹੀਅਲਿ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸੋਇ ॥੩॥
- जो जल, धरती और आकाश में व्याप्त है।
ਹਮ ਨਹੀ ਚੰਗੇ ਬੁਰਾ ਨਹੀ ਕੋਇ ॥
- हम अच्छे नहीं हैं, और कोई भी बुरा नहीं है।
ਪ੍ਰਣਵਤਿ ਨਾਨਕੁ ਤਾਰੇ ਸੋਇ ॥੪॥੧॥੨॥
- नानक कहते हैं, वही तारता है।
विस्तृत व्याख्या:
अंतरि वसै न बाहिरि जाइ: गुरु नानक देव जी कहते हैं कि भगवान हमारे भीतर ही निवास करते हैं। हमें उन्हें बाहर की दुनियावी चीजों में ढूंढने की जरूरत नहीं है। अगर हम अंदरूनी दुनिया में झांकें, तो हमें भगवान का वास्तविक अनुभव हो सकता है।
अमृतु छोड़ि काहे बिखु खाइ: हम अमृत (आध्यात्मिक आनंद और ज्ञान) को छोड़कर संसारिक विष (माया और अज्ञान) का सेवन क्यों कर रहे हैं? यह प्रश्न हमारे जीवन के चुनावों पर सवाल उठाता है।
ऐसा गिआनु जपहु मन मेरे: हे मेरे मन, ऐसा ज्ञान प्राप्त करो जो सच्चे भगवान का सेवक बना सके। यह आत्मा को जागृत करने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
गिआनु धिआनु सभु कोई रवै: संसार में हर कोई ज्ञान और ध्यान की बातें करता है, परंतु असली ज्ञान वही है जो हमें बंधनों से मुक्त कर सके।
बांधनि बांधिआ सभु जगु भवै: संसार बंधनों में जकड़ा हुआ है और इसी कारण सभी लोग भटक रहे हैं।
सेवा करे सु चाकरु होइ: जो सेवा करता है वही सच्चा सेवक है। सेवा का महत्व इस पंक्ति में बताया गया है।
जलि थलि महीअलि रवि रहिआ सोइ: भगवान जल, थल और आकाश में सर्वत्र व्याप्त हैं। वह हर जगह मौजूद हैं।
हम नही चंगे बुरा नही कोइ: हम अपने आप को अच्छा नहीं कह सकते और किसी को बुरा नहीं कह सकते। यह विनम्रता और समानता का संदेश है।
प्रणवति नानकु तारे सोइ: नानक कहते हैं कि वही (भगवान) हमें तार सकते हैं। यह परमात्मा पर पूर्ण विश्वास को दर्शाता है।
इस शबद का मुख्य संदेश आत्मज्ञान, सेवा और विनम्रता पर केंद्रित है। गुरु नानक देव जी हमें सिखाते हैं कि सच्चाई और सेवा के मार्ग पर चलकर ही हम वास्तविक आनंद और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
यह शबद हमें आत्मज्ञान, सेवा और सच्चाई की महत्ता को समझने की प्रेरणा देता है। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक थे और उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से मानवता को प्रेम, समानता, और सेवा का मार्ग दिखाया। यह शबद भी उनके उपदेशों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें सच्चाई और सेवा का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है।
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